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Kajal Agrawal

क्या होता अगर नेहरू को 24 लाख की सुसज्जित फ़ौज और अर्धसैनिक बल, आज की नेवी औऱ एयरफोर्स उपलब्ध होते। क्या होता अगर पृथ्वी और अग्नि मिसाइलें अपने न्यूक्लियर वारहेड के साथ इंदिरा को 1971 में उपलब्ध होती। Featured

  25 जून 2020
क्या होता अगर नेहरू को 24 लाख की सुसज्जित फ़ौज और अर्धसैनिक बल, आज की नेवी औऱ एयरफोर्स उपलब्ध होते। क्या होता अगर पृथ्वी और अग्नि मिसाइलें अपने न्यूक्लियर वारहेड के साथ इंदिरा को 1971 में उपलब्ध होती।
 
क्या होता जब 1947 में पांच ट्रिलियन की हद पर बैठी इकॉनमी नेहरू को विरासत में मिलती। क्या होता जब सेटेलाइट वारफेयर की कैपेसिटी वाला देश 1965 मे शास्त्री को मिलता।
क्या होता जब 1971 के युध्द के पहले अमरीकन प्रेसिडेंट ने फिरोजशाह कोटला में, लाखों "नमस्ते निक्सन" करते भारतीयों के सामने नागिन डांस किया किया होता। क्या होता अगर पीएसएलवी, जीएसलवी और मंगल में यान भेजने में सक्षम दूसरे रॉकेट, एंगल बदल कर बीजिंग की दिशा में तैनात होते। क्या चीन 1962 हिमाकत करता?
सब कुछ नही था, सिर्फ अपने जवानों के भरोसे के बूते हमने जूनागढ़, हैदराबाद, कश्मीर, गोआ, सिक्किम, सियाचिन और सर क्रीक को भारत भूमि का हिस्सा बनाया। वह नेतृत्व की ताकत थी, सीने का चौडापन था। जब कुछ नही था न साहब, हमारे पास हौसला था।
 
आज हमारे पास सब है। फ़ौज है, साजोसामान है, परमाणु बम है, सेटेलाइट टेक्नोलॉजी है, इकॉनमी है, दुनिया मे डंका है, औऱ हां.. आपके पास मां भी है जो गाहे बगाहे इवेंट्स और लाइनों में दिख जाती है। मगर नही है तो हौसला, हिम्मत, सीने का चौडापन.. वही जिसका दावा 56 इंच की जुबान ने किया था।
पाकिस्तान बनने की तमन्ना है, उसी से सीखिए। दो युध्द हार चुका देश, औरों की भीख पर जीने वाला देश, दो टुकड़े किया जा चुका देश... परमाणु सम्पन्न होने के बाद वह आपकी आंखों में आंखे डालकर देखता है। बराबर की धमकी देता है। वह 71 भूल चुका है। क्या हम 62 भूलकर चीन की आंखों में आंख डालकर बात कर रहे हैं?
62 में नेहरू ने क्या खोया हमे न बताइये। आप तो , नेहरू जो-जो खोया वो लौटाकर दिखाइए। चलिए, वह आपका दम नही तो छोड़िये, कम से कम जो मनमोहन ने सौंपा, उसे ही तो इंच इंच बचाकर दिखाइए। याद रहे, नेहरू ने तथाकथित रूप से कुछ खोया, तो इससे आपको देश की धरती लुटवाने का लाइसेंस नही मिलता।
दरअसल 70 सालों में देश ने जो कमाया, बनाया वह लम्बी जुबान और छोटे सीने वालो को सौंप दिया। 70 सालों में जिन्होंने चुनाव जीतने का हुनर सीखा है, शपथ के बाद क्या करना है, अभी सीखने में और 70 साल लगाएंगे। सर्वशक्तिमान फ़ौज औऱ उन्नत तंत्र के बावजूद आज भारत की धरती आज इस तरह पददलित हो रही है। निश्चित ही सत्तर सालों के राष्ट्र के पुरुषार्थ पर पानी फेर दिया गया है।
और फिर आपकी ख्वाहिश नेहरू और इंदिरा की चप्पलों में पैर डालने की है। अच्छा जोक है... हंसा जाए ??
 
 
 
 
 
 
 
 from Manish Singh Facebook wall.
 

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